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रैगर समाज में शिक्षा का अलख जगाने वाले मा० लक्ष्मण सिंह अटल जी

शिक्षक दिवस के अवसर पर हम मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल जी के बारे में विशेष लेख

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाडेगलिया) 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने बाद में दिल्ली के रैगर समाज में शिक्षा का अलख जगाने वाले मास्टर गिरधारी लाल गाड़ेगांवलिया और मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल ये दोनों महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने रैगर समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। वे दोनों जनसंघ और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से थे और दोनों ही समाज के संत व महापुरुषों और बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी के विचारों से प्रभावित होकर पंजाब पब्लिक स्कूल और राष्ट्रीय बाल पाठशाला की स्थापना कर समाज में शिक्षा के स्तर को बढाने के कार्यों में जुट गए, और रैगर समाज में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आज शिक्षक दिवस के अवसर पर हम मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल जी के बारे में विस्तार से जानेंगे :

मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल का जन्म पंजाब के एक सामान्य रैगर परिवार में हुआ, इनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री रूपराम अटल था l शिक्षा प्राप्त करने बाद मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष करना चाहता है। कोई डाक्टर, इंजीनियर या व्यापारी बनने के साथ-साथ कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं या कुछ ईश्वर की भक्ति में लीन होना चाहते हैं। सभी व्यक्तियों की इच्छाएं व आकांक्षाएं अलग-अलग होती हैं। इन सबके बीच अटल जी ने परिवार व गुरुजनों द्वारा दिए गए संस्कारों, शिक्षा व उच्च आदर्शों को लक्ष्य मानकर देश और समाजहित में अभावग्रस्त व अनपढ़ लोगो के बच्चो में ज्ञान रूपी दीप से बच्चों के भविष्य को सँवारने हेतु बापा नगर में 1950 में राष्ट्रीय बाल पाठशाला की स्थापना की और अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया ।

VIDEO : मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल के नाम पर शिव मंदिर आर्य समाज रोड से मिल्ट्री रोड बापा नगर तक के मार्ग का नामकरण

राष्ट्रीय बाल पाठशाला एक आदर्श पाठशाला थी जहाँ मास्टरजी का शिक्षा और छात्रों के प्रति समर्पण रहता था l वे छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को समझते थे और अपने स्नेह से छात्रों में ज्ञान की पिपासा जगाते थे l छात्रों के परिवार से व्यक्तिगत मिलकर शिक्षा के साथ साथ भारतीय संस्कृति, संस्कारों और स्वाभिमान की शिक्षा दी जाती, “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना से पोषित हर छात्र अपने आपको पाठशाला परिवार का हिस्सा मानता था l उन्होंने नारी शिक्षा का भी समर्थन किया और समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कार्य किए ।

राष्ट्रीय बाल पाठशाला से शिक्षित होकर समाज के बहुत से छात्र-छात्राएं बड़े पदों पर आसीन होकर शासन प्रशासन में अपनी महतवपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं वो सब राष्ट्रीय बाल पाठशाला की देन है। जिसमे प्रमुखता से नाम स्व.श्री पी एन रछोया जी (IPS ), स्व.श्री गोपी चन्द बोहरा जी (SDM), स्व.श्री फतेह सिंह अटल जी (Sr.Bank manager) ,श्री पूरण चन्द सक्करवाल जी ( Retd. Sr.Bank manager) व श्री वेद प्रकाश सौन्करिया (डिप्टी सुप्रिटेंडेंट तिहाड़ जेल) शामिल है । समाज में शिक्षा का स्तर बहुत अधिक बढ़ा उसमें योगदान देने में मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल का नाम अग्रिम पंक्ति में नजर आता हैं।

मास्टर लक्ष्मण सिंह अटल बाह्य आडम्बरो से दूर सादगी भरा जीवन ही इनकी विशेषता रही थी l उन्होंने सामाजिक संगठनो और राजनैतिक मंच से सक्रिय भूमिका निभाते हुए, उन्होंने छुआछूत, जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई । जिससे समाज में आत्मगौरव और एकता की भावना उत्पन्न हुई ।

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