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वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जय नारायण कंसोटिया दीर्घ प्रशासनिक सेवा के उपरांत हुए सेवानिवृत्त

दिल्ली , समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाडेगलिया) एल वरिष्ठ अधिकारी अधिकारी श्री जय नारायण कंसोटिया अपनी लंबी अवधि की एकल यात्रा पूर्ण कार सेवा निवृत्ति ले रहे हैं, तब कहे गए एंटरप्राइज जगत और समाज में एक विलक्षण व्यक्तित्व और गौरव का वातावरण है। चार दशकों से अधिक समय तक सतत कार्य और उत्कृष्ट कार्यशैली के साथ उन्होंने शासन-प्रशासन को नई दिशा दी। उनकी यात्रा में बताया गया है कि कैसे एक अधिकारी अपने कर्तव्यनिष्ठ आचरण, संवेदनात्मक दृष्टिकोण और दूरदर्शिता से समाज के विभिन्न रंगों में वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।

रूढ़िवादी दृष्टिकोण: श्री कंसोटिया की कार्यशैली का मूल मंत्र है- “कठोरता में निर्देश और बौद्ध धर्म में विश्वास।” उन्होंने हमेशा संविधान की परिभाषा तक व्यक्ति को संवैधानिकता दी। उनकी पहचान केवल एक सार्वभौमिक अधिकारी के रूप में ही रही है, बल्कि समाज के मजबूत सशक्तिकरण के रूप में भी रही है, महिलाओं और बच्चों की शक्ति के प्रबल सशक्तिकरण के रूप में भी रही है।

व्यक्तिगत पृष्ठभूमि और प्रशासनिक सेवा :

राजस्थान के नागौर जिले की ऐतिहासिक नगरी कुचामन सिटी से आने वाले जे. एन. कंसोटिया ने अपना उच्च शिक्षा इतिहास (एमए) एवं ग्रामीण विकास में परास्नातक ए.बी. प्राप्त किया। यह व्युत्पत्ति ही उनकी संस्था की संस्था बनी हुई है। 1989 बेक्स के सांख्यिकी अधिकारी के रूप में सबसे मध्य प्रदेश कैडर में उन्होंने पहले उपखंडीय देनदारी (एसडीएम, नरसिंहगढ़ और खाचरौद) से लोकतंत्र का सूत्रपात किया। प्रारंभिक सेवाओं में ग्रामीण विकास और स्थानीय शासकों के संसदीय क्षेत्रों की दिशा में प्रभावी कार्य किया गया।

हितैषी के रूप में उनके पद जनता को आज भी याद है। राजगढ़, विश्वनाथन और छतरपुर जैसे अपवित्रों ने अपने भवन और दृढ़ प्रशासन शैली में उन्हें जनप्रिय बनाया। जिला पंचायत के सीईओ एवं प्रोजेक्ट निदेशक (आरडीए) के रूप में उन्होंने पंचायत-राज सोसायटी की स्थापना एवं स्थापना की निगरानी, ​​सुरक्षा करने पर विशेष बल दिया।

संभागीय आयुक्त और स्वास्थ्य आयुक्त की तरह ही उन्होंने काम की गति और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। यही गुण उन्हें पहले मुख्य सचिव और फिर अतिरिक्त मुख्य सचिव जैसे ऊँचे दायित्व तक ले गए।

दिव्यांश नेतृत्व और नवीनता :

श्री कंसोटिया ने शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, बेरोजगारी, उद्यानिकी, उद्योग, वनोपज और अंततः गृह विभाग जैसे कई रचनाकारों और विद्वानों का नेतृत्व किया।

  • उच्च शिक्षा में वे फर्म और कॉलेज में शिक्षा सुधार पर बल दे रहे हैं।
  • महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपने नेतृत्व में ” लाडो अभियान” को राष्ट्रीय स्तर पर एक आदर्श बनाया।
  • सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग में उन्होंने वोटो के मत की मंजूरी को गति दी।
  • वन एवं पर्यावरण विभाग में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रबंधन में वन एवं पर्यावरण संबंधी नवाचारों को बढ़ावा दिया गया है।
  • गृह विभाग (एसीएस, गृह) के रूप में सेवा निवृत्ति से पूर्व राज्य की सुरक्षा, शांति और व्यवस्था की सर्वोच्च जिम्मेदारी निभा रहे थे।

राष्ट्रीय अप्रैल और साहित्य: श्री कंसोटिया की सबसे बड़ी उपलब्धि रही लाडो अभियान, जिसे 21 2015 को नई दिल्ली में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता पुरस्कार (2013-14) से सम्मानित किया। यह कन्या अभियान, भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक प्रभावशाली कदम था। इसी को सबसे पहले 2016 में CAPAM इंटरनेशनल इनोवेशन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था, जिससे एम.पी.आर. को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा मिली।

जीकेएसएसएस डा. कॉम की जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल 22 को ग्लोबल अचीवर्स से सम्मानित किया गया था।

विरासत और प्रेरणा: श्री कंसोटिया की चार दशकों की सेवा यात्रा से यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी अधिकारी का वास्तविक चित्रण उनके स्मारक और विरासत से होता है। कंसोटिया की विरासत उन नीतिगत सुधारों, नवाचारों और सफल अभियानों में जीवित रही, जिसमें उन्होंने गढ़ा और लागू किया। ” लाडो अभियान” उदाहरण के तौर पर आने वाली यात्रा को नवाचार की प्रेरणा देगा।

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