समाज में निर्णय और नेतृत्व की इच्छाशक्ति को पैदा करनी होगी, तभी सामाजिक विकास एवं समृद्धि होगी
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l समाज के युवाओं, महिलाओं और युवतियों की सामाजिक कार्यकर्मो में उत्साहजनक भागीदारी को देखकर कहा जा सकता है कि समाज अपने अधिकारों और शिक्षा एवं विकास के प्रति जागरुक हो रहा है । लेकिन समाज को अगर अपनी स्थिति में सुधार करना है तो समाज के लोगो को एकजुट होना होगा, अपने एक-एक वोट के अधिकार को सही दिशा में उपयोग करना होगा ।
किसी भी चुनाव में समाज किसी के बहकावे में न आए और सही प्रतिनिधि का चुनाव करे, जो उनके अधिकारों के लिए उनकी आवाज़ बन सके, क्योंकि यह अवसर पांच वर्ष में एक ही बार मिलता है, अगर वोट का सही उपयोग नहीं किया जाता है तो हम लोग अच्छे लोगों का चुनाव नहीं कर पाते हैं और पांच साल तक मांगने वाले ही बने रह जाते हैं ।
समाज के लोग असहाय लाचार होकर अपने अधिकारों का हनन होते देखते रहते है तथा शोषण सहन करते रहते हैं, लेकिन उसका विरोध करने का साहस नहीं कर पाते हैं, समाज के लोगों को एक पहल करनी होगी । अपने नेताओं और शासन-प्रशासन के अधिकारियों से अपने हक अधिकारों और क्षेत्र के विकास के लिए बस सवाल पूछने होंगे तथा सही गलत कार्य में फर्क समझ कर विरोध करने का साहस जुटा ले तो समाज की दशा-दिशा बदल जाएगी ।
भारत के संविधान निर्माण में अग्रणी एवं अनुकरणीय भूमिका निभाने वाले भारतरत्न बाबासाहब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर जी के मूलमंत्र शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो का अनुशरण करना होगा l समाज के उत्थान के लिए इतिहास में अपने महापुरुषों के अनुकरणीय कार्यों और प्रयासों से सीख लेकर अपने प्रसिद्ध महापुरुषों का सपना यदि हमें पूरा करना है तो हमे शिक्षित, संघर्षशील और संगठित होना होगा l समाज में अगर हम अलग-अलग संगठन बनाकर अपना-अपना झंडा बुलंद करने के चक्कर में रहेंगे तो कहीं न कहीं हम अपने महापुरुषों और उनके समाज उत्थान के मिशन को धोखा दे रहें हैं ।
समाज को आज भी अशिक्षा, अंधविश्वास, नशाखोरी व रूढ़िवादी परंपराओ जैसी अनेक विचारधाराओ ने जकड़े हुए हैं, जिससे समाज विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ है और शैक्षिक आर्थिक एवं सामाजिक समृद्धि से दूर है । इसलिये समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों और अन्धविश्वास व पाखंड का प्रतिकार करे, बालिकाओं की शिक्षा पर पूरा ध्यान दे, जादू टोना टोटकों से दूर रहे और नशे से बचे जिसके नुकसान से समाज के घर के घर प्रभावित हैं ।
समाज के वरिष्ठजनो, शिक्षित युवक-युवतियों द्वारा शिक्षा, सम्मान, अधिकार, विकास एवं समृद्धि के लिए घर-घर चर्चा के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाकर समाज के लोगो को जागरुक करने में अनुकरणीय भूमिका निभानी चाहिए l चुनाव के समय किसी भी प्रकार के प्रलोभन एवं नशे को त्यागने पर जोर देना होगा l
समाज में निर्णय और नेतृत्व की इच्छाशक्ति पैदा करनी होगी अर्थात समाज में सामाजिक जड़ों का निर्माण करके उनको मजबूती देनी होगी, तभी जाकर सामाजिक विकास एवं समृद्धि को मजबूत बनाया जा सकता है । लोग कहते भी हैं कि युद्ध केवल अस्त्र-शस्त्र से नहीं, बल्कि उचित निर्णय और नेतृत्व की प्रबल इच्छाशक्ति के उत्साह से भी जीता जाता है ।