सामाजिक विकास के लिए समाज के नेतृत्वकर्ताओ को विकास नीति बनाने की जरूरत है
दिल्ली समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समाज के प्रबुद्ध लोगो को समाज विकास के लिए एक वैकल्पिक विकास नीति (रणनीति) पर सोंचने और विचार करने की आवश्यकता है, जो समाज के अनुकूल हो, जो समाज के हितो के संरक्षण एवं संवर्धन में सक्षम या समर्थ हो और जिससे निरंतरता के साथ समाज का विकास संभव हो l
शिक्षा के प्रसार से हमारी युवा पीढ़ी शिक्षित जरुर हुई है लेकिन युवाओ के लिए रोजगार के अवसर नहीं के बराबर हैं । जिसके कारण समाज में बेरोजगारी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है । गरीबी और बेरोजगारी के कारण गांवों में समाज के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं ।
वैकल्पिक (अल्टरनेटिव) सोच का मतलब, पारंपरिक सोच को चुनौती देना, समस्याओं को कुछ इस तरह से हल करना जैसा पहले कभी किसी ने सोचा ही नहीं हो । गांवों और शहरो में समाज के लोगो को संगठित कर सहकारिता के आधार पर उद्योगों को विकसित कर रोजगार के अवसर पैदा करके युवाओ को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है l जिससे युवाओ की बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो जायेगा और समाज के लोगो के जीवन में इस प्रकार सकारात्मक परिवर्तन लाकर उनकी जीवनशैली को सुधार कर उन्हें सामर्थ बनाया जा सकता है l
सामाजिक विकास में शिक्षा और रोजगार महत्वपूर्ण सीढ़ी है जिस पर चढ़कर सामाजिक विकास के लक्ष्य को पाना आसान हो जाता है । इसके अलावा समाज के लोगो को सामाजिक कुरीतियां जैसे दहेजप्रथा, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या और रीति-रिवाजों के नाम पर फिजूलखर्ची आदि के मुद्दों पर उन्मूलन हेतु लोगो से विचार विमर्श किया जाए, और लोगो को जागरूक कर इन सामाजिक कुरीतियां को दूर करने के संदेश को जन जन तक पहुंचाएं l
आजकल समाज में हिंसा, बलात्कार, चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे एकमात्र नशा बहुत बड़ा कारण है । युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है । नशे के रूप में लोग बीड़ी-सिगरेट, शराब, गाँजा, गुटखे, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है । समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना है। सरकार भी नशे के पीड़ितों को नशे की लत छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है l मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे आधुनिक समाज की बदलती जीवन शैली हैं ।
नशे जैसी सामाजिक बुराई से समाज को बचाने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाया जाना जरूरी है । समाज के हर जागरूक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने आसपास नशे की लत से ग्रसित लोगों को नशे से होने वाले नुकसान की जानकारी देते रहें । तभी हम समाज विकास की कल्पना कर सकते हैं ।
आज के वैज्ञानिक युग में अंधविश्वास व रुढ़िवादी परंपराओं की कोई जगह नहीं है । लेकिन कई बार देखा गया है कि जागरूकता के अभाव में समाज के भोले-भाले और रुढ़िवादी परंपराओं को मानने वाले लोगो को कुछ पाखंडी लोग हाथ की सफाई एवं वैज्ञानिक तरीकों से चमत्कार दिखाकर बेवकूफ बनाकर लूटते है तथा शोषण एवं प्रताडि़त करते है । हालांकि सरकार ने अंधविश्वास को रोकने के लिए कानून भी बनाये हुए है । ऐसे में समाज विकास के लिए व्याप्त अंधविश्वास व रुढ़िवादी परंपराओं को रोकने के लिए जनसामान्य में वैज्ञानिक सोच एवं जागरूकता की आवश्यकता है ।