आइये भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अशोक चक्र के बारे में जानते हैं
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस l भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण और गौरव का विषय है l तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था l भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था l झंडे की लंबाई चौड़ाई की डेढ़ गुनी होती है । झंडे में क्रमशः तीन रंग केसरिया, सफेद व हरा होता है, झंडे में तीन रंग होने के कारण हम इसे तिरंगा भी कहते है । इन तीनो रंगों का अपना अपना संदेश होता है जैसे केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक होता है सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है और हरा रंग धरती की हरियाल को दर्शाता है ।
देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं l इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है l तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए l तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है l किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए, यह इसका अपमान होता है l किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते l
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग नहीं, असल में चार रंग होते है, चौथा रंग नीला है ज़ोकि सफेद रंग के मध्य बनाये गये चक्र का रंग है । वहीं इस चक्र के नीला रंग के बारे में बात की जाए, तो कहा गया है कि नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है । यह अशोक चक्र सारनाथ (वाराणसी) स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है l
गौरतलब है कि प्राचीन भारत में सम्राट अशोक एक महान शासक हुए हैं जिन्होंने लोगों को दया,करुणा और प्रेम का संदेश दिया था l इस चक्र में चौबीस तीलियाँ है l इस चक्र का भी अपना एक अलग महत्व एवँ सन्देश होता है । अशोक चक्र में 24 तीलियां होने का इस बात का सन्देश देता है कि हमें निरन्तर 24 घण्टे उन्नति की ओर अग्रसर होते रहना चाहिए । भारत के झंडे में इस चक्र को संविधान विधाता बाबा साहेव अम्बेडकर ने रखा है ।
अशोक चक्र, सम्राट अशोक के समय से शिल्प कलाओ के माध्यम से अंकित किया गया था । धर्म-चक्र का अर्थ भगवान बुद्ध ने अपने अनेक प्रवचनों में अविद्या से दू:ख तक बारह अवस्थाये और दू:ख से निर्वाण (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति) की बारह अवस्थाये बताई है ।
आइये अब अशोक चक्र में दी गयी सभी तीलियों (स्पोक्स्) का मतलब (चक्र के क्रमानुसार) जानते हैं :-
1. पहली तीली :- संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)
2. दूसरी तीली :- आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)
3. तीसरी तीली :- शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)
4. चौथी तीली :- त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)
5. पांचवीं तीली :- शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)
6. छठवीं तीली :- सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)
7. सातवीं तीली :- क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)
8. आठवीं तीली :- प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)
9. नौवीं तीली :- मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)
10. दसवीं तीली :- बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)
11. ग्यारहवीं तीली :- संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)
12. बारहवीं तीली :- कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)
13. तेरहवीं तीली :- समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)
14. चौदहवीं तीली :- उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)
15. पंद्रहवीं तीली :- सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)
16. सौलहवीं तीली :- नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)
17. सत्रहवीं तीली :- समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)
18. अठारहवी तीली :- अर्थ (धन का सदुपयोग करना)
19. उन्नीसवीं तीली :- नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)
20. बीसवीं तीली :- न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)
21. इक्कीसवीं तीली :- सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)
22. बाईसवीं तीली :- कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)
23. तेईसवी तीली :- अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)
24. चौबीसवीं तीली :- बुद्धिमत्ता (देश की समृद्धि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)
अशोक चक्र की प्रत्येक तीली का अपना अर्थ है । सभी तीलियाँ देश के समग्र विकास की बात करती हैं । ये तीलियाँ सभी देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में स्पष्ट संदेश देती हैं । ये तीलियाँ 24 सिद्धांतों की तरह हैं जिनका नागरिकों को पालन करना चाहिए ताकि जाति, धर्म, भाषा और पहनावे के भेद कम से कम हो सकें । इन 24 गुणों को धर्म मार्ग भी कहा जाता है । अगर देश के सभी नागरिक इन 24 गुणों को अपना लें, तो देश को उन्नति करने से कोई नहीं रोक सकता है ।
अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता का पदक है । यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है । यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है । अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है ।