समाजसेवी चतर सिंह रछौया (पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय रैगर महासभा) द्वारा रैगर जोड़ो अभियान की शुरुआत की
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l समाजसेवी चतर सिंह रछौया (पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय रैगर महासभा) द्वारा रैगर समाज को एकजुट कर एकता कायम करने और राजनैतिक जागृति लाकर रैगरों का राजनैतिक वजूद फिर से कायम करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर “रैगर जोड़ो अभियान” चलाया जा रहा है l समाजसेवी चतर सिंह रछौया ने समाज बंधुओ और मातृशक्ति से विन्रम अपील की है कि “रैगर जोड़ो अभियान” में जुड़े और लोगो को जोड़े l
समाजसेवी चतर सिंह रछौया (पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय रैगर महासभा) ने समाजहित एक्सप्रेस के संपादक रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया को बताया कि पिछले 38 वर्षो में भारतवर्ष में किसी भी क्षेत्र से रैगर का बेटा या बेटी संसद सदस्य नहीं बना, यह रैगर समाज के लिए अति गंभीर विचारणीय विषय है l
भारत के सभी प्रान्तों में रैगर समाज भारी संख्या में निवास करता है और रैगर समाज के लोगो ने हमेशा दिल से देश और समाज की सेवा की है, लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में जो प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था वह नहीं मिला l चतुर्थ राजस्थारन विधानसभा 1967-1972 में कुल 184 विधायको में श्री चुन्नी्लाल जेलिया खण्डा9र (सु.) स्वपतंत्र पार्टी,श्री जयनारायण सालोदिया निवाई (सु.) स्व तंत्र पार्टी, श्री विरदाराम फुलवारिया जालोर (सु.) कांग्रेस, श्री परसराम परबतसर (सु.) स्व तंत्र पार्टी व श्री गणेशलाल पलिया गंगारार (सु.) कांग्रेस सहित पांच विधायक हुआ करते थे और एक सांसद होता था लेकिन आज राजस्थान में केवल रैगर समाज की एकमात्र विधायक श्रीमती गंगादेवी है l यह स्थिति समाज के लिए दुखदायी है, इस पर गंभीरता से विचार करें ऐसा क्यों हुआ?
मध्य् प्रदेश जिला मन्दसौर के सुवासरा क्षेत्र से श्री चम्पाकलाल आर्य (हिन्दूाणिया) सन् 1962 से 1972 तक तथा सन् 1977 में तथा 1980 से 1985 तक भारतीय जनता पार्टी से सुवासरा क्षेत्र से ही मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे है, उसके बाद रैगर समाज का कोई विधायक नहीं बना, क्या अब वहां रैगर नहीं रहते ? यदि वहां रैगर वहां निवास करते है तो विचार करें ऐसा क्यों हुआ?
दिल्ली में 1952, 1957 एवं 1962 में करोल बाग,क्षेत्र से श्री नवल प्रभाकर संसद सदस्य चुने गए l 1972 में करोल बाग से श्रीमती सुन्दरवती नवल प्रभाकर संसद सदस्य रही,1977 में श्री शिवनारायण सरसुनिया और बाद में 1980 में श्री धर्मदास शास्त्री संसद सदस्य बने उसके बाद से दिल्ली में रैगर समाज का कोई संसद सदस्य नहीं बना l जबकि करोलबाग रैगर बाहुल्य क्षेत्र है तो सोचो और विचार करो ऐसा क्यों और किन कारणों से हुआ?
आप सभी को विदित है कि हमारे लोकतंत्र के लिये यह आवश्यक है कि जिस क्षेत्र में जो समाज अधिक संख्या में होता है उसी समाज का विधायक और संसद सदस्य होता है l देश के विभिन्न क्षेत्रो में रैगर समाज भारी संख्या में निवास करता है और हार जीत का निर्णयाक होता है, वहां पर तो रैगर समाज का जनप्रतिनिधि हो l यह तभी संभव हो सकता है जब हमारी सामाजिक एकता हो और हम राजनैतिक रूप से जागरूक हो l