होनहार युवा ओमप्रकाश रैगर की आत्महत्या प्रकरण पर रूपनगढ़ में धरना प्रदर्शन जारी
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l राजस्थान में अनुसूचित जाति के लोगो पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं । 2003 में महरोली जिला सीकर में राजपूतों द्वारा रामेश्वर रैगर व मुंडरू जिला सीकर में ओम प्रकाश रैगर की जाटों द्वारा हत्या की गई । अत्याचार का एक और मामला अजमेर के किशनगढ़ उपखंड क्षेत्र के रूपनगढ थाना क्षेत्र में नोसल गांव से सामने आया है । जहाँ अनुसूचित जाति रैगर का होनहार युवक ओम प्रकाश रेगर को और उसके परिजनों को दबंगों ने इतना प्रताड़ित किया, उससे तंग आकर वह पुलिस के पास गया लेकिन पुलिस ने भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की । आत्महत्या से पहले मृतक ने एक सुसाइड नोट लिखा और फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ओमप्रकाश रैगर पुत्र नारायण रैगर नर्सिंग का छात्र था । परिवार में इकलौता बेटा था । ओमप्रकाश के पिता दिव्यांग हैं और खेती-बाड़ी का काम करते हैं । मंगलवार को ओमप्रकाश रैगर (25) ने दोपहर 3 बजे कमरे की छत पर लगे लोहे के हुक में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली । मृतक ओमप्रकाश रैगर ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा । सुसाइड नोट में पुलिस पर राजनीतिक दबाव में आकर न्याय नहीं करने का आरोप लगाया गया हैं । मृतक युवक के तीन पेज के सुसाइड नोट में दो पुलिस अधिकारियों व एक पूर्व सरपंच को मौत का जिम्मेदार बताया जा रहा हैं ।
इस घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई । घटना को लेकर क्षेत्रीय ग्रामीणों और समस्त रैगर समाज में आक्रोश है । समस्त रैगर समाज और क्षेत्रीय ग्रामीणों ने न्याय की मांग की है । बुधवार को विवाद गहरा गया । जब अनुसूचित जाति और रैगर समाज के लोग सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र के बाहर धरने पर बैठ गए । परिजनों ने न्याय नहीं मिलने तक शव उठाने से इनकार कर दिया ।
डॉ.एस.के.मोहनपुरिया राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय रैगर महासभा 03-11-2022 वीरवार को मुख्यमंत्री निवास पर अधिकारियों से मिल कर मृतक ओमप्रकाश रैगर से सम्बन्धित ज्ञापन दिया और मॉग की शीध्र अति शीध्र दोषियों को गिरफ्तार करो एवं पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा एवं परिवार के 2 सदस्यों को नौकरी दो l इसके अलावा उपरोक्त मामले के संदर्भ में अध्यक्ष डॉ. मोहनपुरिया अपने साथियों सहित डीजीपी से मिलकर ज्ञापन देने हेतु डीजीपी कार्यालय भी गये ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार अखिल भारतीय रैगर महासभा के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश प्रसाद महोलिया, प्रदेश महासचिव डी.एस. महोलिया, प्रचार प्रसार सचिव यादराम नोगिया, उपसचिव सुखदेव अटल, अजमेर के जिला अध्यक्ष अरविन्द धौलखेड़िया, जयपुर जिलाध्यक्ष ऐडवोकेट गुलाब चन्द बारोलिया, जिलाध्यक्ष नागौर अर्जुन डोलिया, डॉ० नवरतन गुसाईवाल (पूर्व महासचिव अखिल भारतीय रैगर महासंघ), हरि नारायण मौर्य, मदन लाल भाखरीवाल, दशरथ हिनुनिया, मदन लाल वर्मा, राजेन्द्र सबल, एवं अखिल भारतीय रैगर महासभा की पूरी टीम के साथ मे धरना प्रदर्शन-विरोध प्रदर्शन में रहे । प्रदेशाध्यक्ष जगदीश प्रसाद महोलिया ने टीम के साथ एस. डी.एम को जिलाधीश के नाम ज्ञापन भी दिया, जिसमें मॉग की गई कि दोषियों को तुरन्त गिरफ्तार करें एवं पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा एवं परिवार मे दो सदस्यों को नौकरी मिले ।
इस मामले में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद भी रूपनगढ़ पहुंचे । उनके अलावा आरएलपी से गोपालगढ़ विधायक पुखराज गर्ग भी रूपनगढ़ पहुंचे । यहां मृतक के परिजनों को मुआवजे, सरकारी नौकरी और आरोपितों पर कार्रवाई की मांग की गई ।
ओमप्रकाश रैगर द्वारा तीन पेज का सुसाइड नोट जो सोशल मीडिया पर वायरल
मेरा नाम ओमप्रकाश रैगर है। मेरे पिता नारायण रैगर दिवाली के दिन अपने खेत में ग्वार व बाजरे की फसल इकट्ठा कर रहे थे, तभी किशनाराम गुर्जर व उनके दो भतीजे कानाराम और नन्दाराम भेड़-बकरियां चराने वहां पहुंच गए। मेरे पिता ने उनका विरोध किया तो मेरे विकलांग पिता को लाठियों से मारा-पीटा गया। उन्होंने जैसे-तैसे कर अपनी जान बचाई और गांव की तरफ आकर मुझे और मेरी मम्मी को सारी बात बताई। जब हम वहां पहुंचे तो उन्होंने हमें भी घेर लिया और जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। ये हमारे साथ ऐसा ही करते हैं। जब हम खेत में लास्ट में अपनी फसल तैयार करते हैं, उससे पहले ये भेड़-बकरियां खेत में डाल देते हैं और हमें परेशान करते हैं।
जब हम वारदात होने के बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने गए तब थानाधिकारी के पास फोन आ गया कि इनका केस मत लेना और वहां से हमें मेडिकल करवाने के बाद डरा-धमकाकर रवाना कर दिया गया। बोले-कल आना। कल गए तो बोला-फिर कल आना। हमने कोर्ट में जाने का नाम लिया तो उन्होंने हमारी एफआईआर ली और केस को हल्का कर दिया। इसमें हमारे गांव का पूर्व सरपंच रणजीत सिंह राठौड़ वोट बैंक पाने के लिए शामिल हो गया। उसकी जान-पहचान बहुत बड़ी है। इसलिए उसने और थानाधिकारी अयूब खान ने मिलकर मेरे साथ मेरा छोटा भाई राहुल और मेरे अंकल जुगलकिशोर पर झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी। डिप्टी लोकेन्दर दादरवाल बयान करने गांव आया तो वो भी रणजीतसिंह राठौड़ के घर जाकर बैठ गया और ये सब मिल गए और आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की।
मैं अपने मां-बाप का आत्मसम्मान नहीं बचा पाया। उनके सामने जाने में भी शर्मिंदगी महसूस होती है जिन्होंने मुझे इतना पढ़ाया। आज मैं उनकी रक्षा व आत्मसम्मान नहीं बचा पाया। अब में जिस संविधान को पढ़ा और समझा फिर भी में कुछ नहीं कर पाया इस सिस्टम की वजह से। पूर्व सरपंच के पास पॉलिटिकल बल है और इसी बल के सहारे इन्होंने मेरे केस को पॉलिटिकल बना दिया और मैं सिर्फ देखता रह गया। मैंने कानून की सहायता ली, जबकि इन्होंने हम पर ही झूठा केस बना दिया।
जो मैं अब कर रहा हूं मुझे पता है यह बहुत गलत है। अब मेरे पास इसके सिवा कोई ऑप्शन नहीं है। मेरी मां, मैं तेरा इस जन्म में हो नहीं सका। मुझे माफ करना और मेरी सिस्टर नीतू में तेरे लिए कुछ नहीं कर पाया, मुझे इस बात का बहुत बड़ा अफसोस है। नीतू मम्मी-पापा का ध्यान रखना और हिम्मत मत हारना। तुम लोग समझौता मत करना, इस साजिश में जो शामिल है उन पर कार्रवाई करवाना, चाहे सब कुछ बिक जाए, छोड़ना मत इन सबको।