Friday 08 November 2024 7:17 AM
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मानव जीवन में पर्व और त्‍यौहारों का काफी महत्‍व है, कुकृत्यों से होली के त्योंहार की छवि को धूमिल न करें ।

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l

मानव जीवन भर अनेक प्रकार के कर्तव्यों व दायित्वों को निभाते हुए अपना जीवनकाल बिताता है, प्राय: अपने इन कर्तव्यों व दायित्वों में इतना अधिक व्यस्त रहता है कि स्वयं के मनोरंजन आदि के लिए समय निकालना भी कठिन हो जाता है । इन परिस्थितियों में त्योहार ही मानव जीवन में सुखद परिवर्तन लाते हैं तथा त्योंहारो से ही जीवन में हर्षोंल्लास व नवीनता का संचार होता हैं ।

त्योहारों से मानव जीवन की नीरसता समाप्त होती है तथा उसमें एक नवीनता व सरसता का संचार होता है । त्योहारों के अवसर पर गरीबों तथा अन्य लोगों को दान आदि देकर संतुष्ट करने की प्रथा का भी समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । भूखे को भोजन, निर्धनों को वस्त्र आदि बाँटकर लोग सामाजिक समरसता लाने का प्रयास करते हैं । हमारे त्योहार हमारी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा व भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं ।

हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित रंगोत्सव यानि होली भारतीय संस्कृति का एक पर्व है l यह भेदभाव मिटाकर पारस्परिक प्रेम व सद्भाव प्रकट करने का एक अवसर है l अपने दुर्गुणों तथा कुसंस्कारों की आहुति देने का एक यज्ञ है तथा परस्पर छुपे हुए प्रभुत्व को, आनंद को, सहजता को, निरहंकारिता और सरल सहजता के सुख को उभारने का उत्सव है l जो अनेक विषमताओं के बीच भी समाज में एकत्व का संचार करता है l प्राचीन समय में लोग पलाश के फूलों से बने रंग अथवा अबीर-गुलाल, कुम-कुम-हल्दी से होली खेलते थे, किन्तु वर्तमान समय में रासायनिक तत्त्वों से बने रंगों का उपयोग किया जाता है, जो मानवहित में नहीं है l

त्योहारों को मनाने की विधियों में जो विकृतियाँ आ गई हैं, जैसे– होली के दिन शराब अथवा भंग पीने की विकृति, जुआ खेलना, धार्मिक उन्माद उत्पन्न करना, ध्वनि व वायु प्रदूषण को बढ़ावा देकर प्रर्यावरण दूषित करना, ऐसी प्रवृति को शीघ्रातिशिघ्र समाप्त करना होगा । हम त्योहारों को उनकी मूल भावना के साथ मनाएँ ताकि सुख-शांति में वृद्धि हो सके । नशे से चूर व्यक्ति विवेकहीन होकर घटिया से घटिया कुकृत्य कर बैठते हैं, अतः नशीले पदार्थ से तथा नशा करने वाले व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिये l

आजकल सर्वत्र उन्न्मुक्तता का दौर चल पड़ा है, पाश्चात्य जगत के अंधानुकरण में भारतीय समाज अपने भले बुरे का विवेक भी खोता चला जा रहा है l इसलिए हम सभी भारतीय नागरिकों का यह पुनीत कर्तव्य है कि हम त्योहारों को सादगी व पवित्रता से मनाएं । अपने निजी स्वार्थों से त्योंहार की छवि को धूमिल न करें । उन तत्वों का बहिष्कार करें जो होली के त्योंहार की गरिमा को धूमिल करने की चेष्टा करते हैं । इस प्रकार होली का उत्सव या होली नयी फसल, नयी ऋतु एवं विक्रम संवत नववर्ष के आगमन का उत्सव है l

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