Thursday 12 December 2024 6:16 AM
Samajhitexpressआर्टिकलजयपुरताजा खबरेंनई दिल्लीराजस्थान

मानवता धर्म ही मानव के लिए सर्वोपरि होना चाहिए

लेखक : रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया (सामाजिक कार्यकर्ता)

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस l  मानव का एक ही कर्म व धर्म है और वह है मानवता । हम इस दुनिया में मानव बनकर आए हैं तो सिर्फ इसलिए कि हम मानव सेवा कर सकें । पूरे विश्व में प्रकृति ने हम सभी मानव को एक-सा बनाया है तो फिर एक दुसरे के प्रति जातिगत भेदभाव क्यों किया जाता है? जबकि आत्मभाव से प्रत्येक मानव एक समान है ।

आप सभी को विदित है कि देश के किसी भी प्रान्त में वर्तमान वर्ण/जातीय व्यवस्था में कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति या परिवार कितना भी उच्च, पवित्र व शुद्ध संस्कारित हो जाय या अपनी कड़ी मेहनत से कितनी ही संपत्ति अर्जित कर सम्पन्न हो जाय अथवा सत्ता की दृष्टि से कितना ही उन्नत पद पर विराजमान होने पर भी जन्म से प्राप्त जाति का टैग त्याग कर गैर अनुसूचित जाति में शामिल होना अभी तक असंभव ही बना हुआ है ।

जन्म से प्राप्त अनुसूचित जाति के लोग घर में कितने भी यज्ञ कर ले, चाहे दिन-रात मंत्र आदि का जाप कर ले, यज्ञोपवीत धारण कर ले, कितनी भी लंबी चोटी रख कर उसमें गांठ बांध लें लेकिन सत्य यह है कि कभी भी हमको वर्ण आधारित व्यवस्था में “बराबरी और समानता के अधिकार” प्राप्त नहीं होंगे l  अब सवाल यह उठता है कि हमारे समाज/वर्ग के लोग यज्ञादि कर्मकांड करके क्या पाना चाहते है?

कुछ प्रतिशत लोगो द्वारा अधिसंख्य लोगो को मानव सभ्यता के वास्तविक ज्ञान से अज्ञान में रखकर सदैव अन्धविश्वास और पाखंड में फ़साये रखने का षडयंत्र रचाते रहते है, वे लोग जानते है कि जिस दिन हम लोग उनके षडयंत्र को समझकर वैज्ञानिक सोच को अपना लेंगे उस दिन वे सामाजिक सता से बाहर हो जायेंगे l 

इसलिए आडम्बर को त्याग कर सत्य को अपनाओ और आस्था रखो कि आत्मा में ही परमात्मा का निवास है l  हमारे कर्म सदेव मानवता की भलाई में हो और जीव जंतुओ पर दया भाव रखो l किसी के द्वारा कही गई बात की प्रमाणिकता को जानने और परखने के बाद में ही माने l वैज्ञानिक सोच को अपनाओ l हमेशा याद रखे कि मानवता ही हमारा धर्म हे l

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं । आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए समाजहित एक्सप्रेस उत्तरदायी नहीं है ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close