दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा सस्टेनेबिलिटी मंथ एवं अर्थ डे के उपलक्ष्य पर “यूथ एंड नॉन-प्रॉफिट्स इन क्लाइमेट क्राइसिस: शिफ्टिंग द नैरेटिव फ्रॉम डिलीबरेशन टु एक्शन” विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l दिल्ली स्थित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा सस्टेनेबिलिटी मंथ एवं अर्थ डे के उपलक्ष्य में दिनांक 25 अप्रैल 2023 को दोपहर 3.30 बजे “यूथ एंड नॉन-प्रॉफिट्स इन क्लाइमेट क्राइसिस: शिफ्टिंग द नैरेटिव फ्रॉम डिलीबरेशन टु एक्शन” विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया ।
दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया की अध्यक्षता एवं महानिदेशक डॉ. आर. के. शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में मॉडरेटर एवं पैनलिस्ट रूप में युवा पर्यावरणविद श्री अभीर भल्ला तथा सह पैनलिस्ट के रूप में सेव द चिल्ड्रन इंडिया कैंपेन की हेड सुश्री प्रज्ञा वत्स, मैश प्रोजेक्ट फाउंडेशन के संस्थापक व सीईओ श्री आशीष बीरगी और दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड की सदस्या श्रीमती विभा लाल चावला उपस्थित रहे । दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्रीमती उर्मिला रौतेला द्वारा मंच संचालन किया गया ।
मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । डॉ. आर. के. शर्मा ने पैनल चर्चा हेतु उपस्थित पैनलिस्ट सदस्यों का स्वागत करते हुए उनका परिचय श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। उन्होंने बताया की यूएन द्वारा 22 अप्रैल का दिन पृथ्वी दिवस के रूप में चिहिनित किया गया है । उन्होंने कहा कि कई कारणवश हम अपनी क्रियाओं द्वारा जाने अनजाने पृथ्वी को हानि पहुंचा रहे हैं। हमें अपनी क्रियाओं का पृथ्वी पर होने वाले असर को समझते हुए तथा पृथ्वी माता का सम्मान करते हुए उसे आने वाली पीढ़ियों हेतु संभाल कर रखना होगा।
श्रीमती विभा लाल चावला ने मॉडरेटर एवं पनेलिस्ट श्री अभीर भल्ला का परिचय दिया और कहा कि पृथ्वी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए युवा पीढ़ी का यह कर्तव्य बन गया है कि वह जागरूक बन पृथ्वी को बचाने में अपना योगदान दें । उन्होंने युवाओं को पर्यावरण के संरक्षण हेतु अधिक से अधिक जुड़ने तथा प्रयासरत होने को कहा I श्री अभीर भल्ला ने कहा कि आजकल इस विषय पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संगोष्ठियों व वक्तव्य आयोजित किए जाते रहे हैं परंतु अब आवश्यकता है कि जमीनी स्तर पर हम क्रियाशील बनें। कोविड 19 के कारण हुए लॉकडॉन ने हमें ताजी हवा के महत्व से रूबरू करवाया पर हमारे लिए ताजी हवा और स्वस्थ वातावरण के लिए घर पर बैठ जाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा राजनीतिज्ञ एवं प्रशासन किसी भी बदलाव को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं परंतु अगर हम सभी इस विषय के प्रति जागरूकता बरतते हुए क्रियाशील हो जाए तो कम से कम बीस प्रतिशत बदलाव तो ला ही सकते हैं।
सुश्री प्रज्ञा वत्स ने कहा कि हमें सर्वप्रथम पृथ्वी के प्रति अपनी जिम्मेदारी को महसूस करना होगा तभी हम उसके प्रति जुड़ाव महसूस कर सकेंगे और पर्यावरण संरक्षण हेतु क्रियाशील हो सकेंगे। हम सभी एक दूसरे की जिम्मेदारी को चिन्हित करने में लगे रहते हैं परंतु अपने कर्तव्यों के प्रति मौन रहते हैं। हमें इस बात को समझना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हम में से प्रत्येक का प्रयास बहुत मायने रखता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि किस प्रकार हम अपनी जीवन चर्या में छोटे-छोटे बदलाव ला कर पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
श्री आशीष बीरगी ने कहा कि जितनी बड़ी समस्या होती है उतना ही बड़ा मौका होता है बदलाव लाने का। पर्यावरण समस्या केवल हमें और हमारे राष्ट्र को ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व को प्रभावित कर रही है । हमें अपनी रोजमर्रा की दिन चर्या में पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से बदलाव लाने के साथ साथ दूसरों को भी इसके लिए प्रभावित करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसके प्रति जागरूक और क्रियाशील बने। उनके स्वयं के भीतर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता कैसे आए और इस दिशा में उनके द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों पर भी उन्होंने विस्तार में चर्चा की। पैनल चर्चा के पश्चात श्रोताओं एवं पैनलिस्ट के मध्य प्रश्न-उत्तर के दौर से कार्यक्रम और भी अधिक रोचक और संवादात्मक बन गया I
श्री सुभाष चन्द्र कानखेड़िया ने और युवा श्रोताओं द्वारा पर्यावरण के संरक्षण हेतु किस प्रकार भागीदारी निभाई जाए और यमुना को स्वच्छ एवं साफ करने हेतु किस प्रकार प्रयास किये जाए? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्य श्री रविशंकर तिवारी द्वारा यमुना संसद कार्ययोजना के सम्बंध में चलाये जा रहे अभियान के सम्बन्ध में श्रोताओं को बताया और कहा कि आप इस अभियान से जुड़कर यमुना को साफ करने की मुहीम में वे अपनी भागीदारी निभा सकते हैं I साथ ही उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन COP26 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए राष्ट्रीय वक्तव्य का जिक्र किया और इसमें उनके द्वारा इस वैश्विक मंथन के बीच मैं भारत की ओर से इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व, पंचामृत भेंट किये जाने पर उन्होंने विस्तार से बताया; पहला – भारत 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक पहुंचा देगा, दूसरा – भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करेगा, तीसरा – भारत अब से कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन 2030 तक कम कर देगा, चौथा- 2030 तक, भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम कम कर देगा, और पांचवां- वर्ष 2070 तक भारत नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा। ये पंचामृत क्लाइमेट एक्शन में भारत का अभूतपूर्व योगदान होगा । इस प्रकार उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा बताये गए इस लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत के 1.25 करोड़ भारतवासियों को अपना योगदान देना होगा I
अंत में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के महानिदेशक डॉ. रविन्द्र कुमार शर्मा द्वारा सभी आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ।