समाज में विवाह के बाद दाम्पत्य जीवन में बढ़ती अलगाव की ज्वलंत समस्या
लेखक : हीरा लाल नरानिया (सामाजिक कार्यकर्ता)
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस l आजकल शादी के बाद समाज में नवविवाहित जोडो के बीच सम्बन्ध विच्छेद/ अलगाव के मामले बढ़ रहे है जिस पर पर समाज के युवक-युवतियों और उनके अभिभावकों को पवित्र दाम्पत्य जीवन को लेकर गंम्भीरता से विचार करना चाहिए, इस ज्वलंत समस्या में कहीं न कहीं हम सभी सामूहिक रूप से उत्तरदायी हैं । समाज में देखा गया है कि विवाह उपरान्त कुछेक नवयुवक जोड़े ही अपना गृहस्थ जीवन सही तरीके से निभा रहे हैं । कुछ शादियां तो ऐसी भी हुई हैं जिनमे नवविवाहित जोड़े एक दिन का दाम्पत्य जीवन गुजारने के बाद विच्छेद स्तर पर पहुंच गए । कुछ नवयुवक और युवतियां एक या दो वर्षों के दाम्पत्य जीवन बिताने के उपरांत सम्बन्ध विच्छेद के स्तर पर पहुंच जाते हैं । क्या एक वैवाहिक जीवन का यही आधार है जो हम सभी किसी न किसी के घर परिवार या रिश्तेदारी में देख रहे है?
अब प्रश्न यह है कि आखिर यह समस्या किस कारण से समाज में मुंह बाए खड़ी है । इस सम्बन्ध में हम कुछ विचार आपके सुलभ दृष्टिकोण के लिए यहां पर प्रस्तुत कर रहे हैं :–
1 – विवाह 20 से 25 वर्ष में न होकर, संबंधों का देरी से होना
2- पेरेंट्स का आर्थिक रूप से पूर्णतया सम्पन्न होना सभी सुख सुविधाएं होना
3- दहेज प्रथा का अत्यधिक बढ़ावा
4- रिश्तों के लिए नौकरी शुदा लड़कों की तलाश करना
5- नौकरी शुदा लड़कों द्वारा नौकरी शुदा लड़कियों की ख्वाहिश रखना
6- नवयुवकों (लड़के और लड़कियों ) का अधिक शिक्षित होना
7- पेरेंट्स तथा उनके बच्चों के द्वारा बहुत से रिश्ते तलाश करना
8- अंधविश्वासों में अत्यधिक समय देना, किस्मत को कोसना
9- विवाह संबंधों के लिए गुणों का मिलान करना
10- ज्योतिषी द्वारा जन्म पत्रिका का मिलान कराना, टोटके करना
11- पेरेंट्स तथा बच्चों के द्वारा आर्थिक संपन्नता होने से प्राउड में होना
12- हकीकत छुपाना अर्थात रिश्तों में झूठ का सहारा लेना
13- एक दूसरे को नीचा दिखाना अर्थात ईगो का चरम सीमा पर होना
14- मोबाइल फोन का ज्यादा इश्तेमाल करना
15- शादी के उपरांत मोबाइल पर मां तथा बहन या सहेली के द्वारा विवाहिता को प्रशिक्षण दिया जाना
16- नवयुवकों (लड़के और लड़कियों) का विवाह के पूर्व अन्यत्र अफेयर होना
17- नवयुवकों द्वारा विवाह सम्बन्ध स्थापित हो जाने के समय पर डबल गेम खेलना, अर्थात जिसके साथ अफेयर है उसको नहीं छोड़ना और विवाह भी करना। अपने पूर्व के संबंधों को बनाये रखना l
18- विवाह उपरांत ससुराल पक्ष की तरफ से विवाहिता के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाना अर्थात बात बात पर उलाहना देना या नीचा दिखाना
19- दहेज के सामान या कपड़ों को लेकर हल्का या सस्ता बताया जाना
20- विवाह उपरांत विवाहित जोड़ों का ईगो टकराना
21- विवाहित लड़के के द्वारा विवाहिता के साथ मधुर संबंध नहीं रखना जिसकी वह हकदार है
22- विवाहिता को अपनी जिम्मेवारी नहीं समझना जबकि पेरेंट्स के द्वारा जिम्मेदारी का अंतरण किया जाता है
23- विवाहिता द्वारा अनावश्यक रूप से वस्तुओं की मांग रखना
24- घर में सम्पूर्ण कार्य विवाहिता पर ही थोप देना अर्थात घरेलू नौकर की तरह से व्यवहार करना
25- विवाहिता पर कई तरह के आक्षेप लगाया जाना अर्थात लड़के में यदि किसी भी प्रकार की कोई भी शारीरिक कमी है तो उसे भी विवाहिता पर थोपना
26- विवाहिता द्वारा भी अपने जीवन साथी के साथ मधुर संबंध स्थापित नहीं करना
27- लड़के के द्वारा, मदिरापान, धूम्रपान तथा अन्य गलत आदतों में लिप्त होना
28- विवाहिता का भी इन्हीं आदतों में लिप्त होना
उपरोक्त के अलावा अन्य बहुत से कारण भी हो सकते हैं जिन्हें आप हम सभी भलीभांति जानते हो।
समाज में सामाजिक न्याय व्यवस्था दफ़न हो चुकी है क्योंकि किसी के द्वारा किसी की भी बात नहीं मानी जाती है जिसका नतीजा यह है कि पुलिस थाना तथा न्यायालय में मामले अधिक संख्या में बढ़ते जा रहे हैं।
एक तो रिश्ता इतनी देरी से होने लगा है उपरांत इसके विवाहित जोड़े अपना दाम्पत्य जीवन को भी ठीक तरह से नहीं निभा रहे हैं। नवयुवकों के द्वारा इस प्रकार के कृत्य किये जाने पर उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं है कि भविष्य में जब उनकी उम्र जब ढलान पर होगी तो उन्हें सहारा किसके पास जाकर लेना पड़ेगा।
आर्थिक रूप से संपन्नता होने से या संपत्ति इकठ्ठी करना मात्र उद्देश्य क्या हमें पारिवारिक सुख से वंचित नहीं करेगा? हम सभी जिसमें हमारी पीढ़ी के साथ साथ नवयुवकों की पीढ़ी को भी इस विषय में गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।
हमें कुरीतियों को हर हाल में त्याग करना ही होगा, जिसमें दहेज प्रथा, कपड़ों का लेनदेन, एक दूसरे को नीचा दिखाना, मोबाइल फोन पर अधिक समय तक ध्यान देना अथवा बातें करते रहना और अपना अपना ईगो बनाये रखना भी सम्मिलित है। यदि पूर्व से अफेयर हैं तो उन्हें बिल्कुल अलग करना ही होगा, इसके अलावा डबल गेम को भी दूर कर एक दूसरे के प्रति समर्पित होकर जिम्मेदारी निभाते हुए दाम्पत्य जीवन का सुख समयानुसार प्राप्त करने में ही समझदारी है।