झालावाड़ में संपन्न हुआ 17 मिनिट का अनोखा विवाह
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (पत्रकार रामलाल रैगर) l झालावाड़ यूं तो आपने कई शादियां देखी होगी लेकिन झालावाड़ में 17 मिनट की शादी चर्चा का विषय रही इस शादी में ना घोड़ी थी ना हल्दी मेहंदी की रस्म और ना ही कोई लोक दिखावा और तो और किसी प्रकार का लेनदेन भी नहीं हुआ एक जोड़ी कपड़े में दुल्हन को विदा कर दिया गया जहां एक और शादियों में कई तामझाम देखने को मिलते हैं वहीं दूसरी ओर यह शादी गुरुवाणी के साथ 17 मिनट में ही संपन्न हो गई l
जानकारी के लिए बता दें संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में गांव-गांव, गली गली, शहर शहर, में आध्यात्मिक सत्संग के माध्यम से समाज में फैली सभी कुरीतियों को खत्म किया जा रहा है, वर्तमान समय में दहेज प्रथा, रूढ़िवादी परंपराएं, भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, नशा प्रवृत्ति व पाखंडवाद जैसी बुराइयां चरम पर है l इन सभी बुराइयों को जड़ से खत्म कर मानव समाज को सदभक्ति देकर पूर्ण मोक्ष प्रदान करने का बीड़ा संत रामपाल जी महाराज ने उठाया है l संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रेरित होकर लोग सभी बुराइयों से दूर हो रहे हैं, और दहेज मुक्त विवाह करके समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं l
इसी कड़ी में मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट कुरुक्षेत्र हरियाणा द्वारा झालावाड़ शहर स्थित गोविंद भवन में विशाल सत्संग व निशुल्क नाम दीक्षा के साथ दहेज मुक्त विवाह का आयोजन रविवार 12 मई को कीया गया जिसमे कमलेश पुत्री बलराम अलोदा तहसील खानपुर जिला झालावाड़ कि शादी आशीक पुत्र हेमराज उम्मेदपुरा तहसील खानपुर जिला झालावाड़ के साथ संपन्न हुई l
दूल्हे ने जानकारी देते हुए बताया की 33 कोटी देवी देवताओं को साक्षी मानकर यह विवाह संपन्न हुआ है, आज के समय में बेटियों को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है l यहां तक की कई बेटियां दहेज की प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या तक कर लेती है l महेश कुमार बुरनखेड़ी जानकारी देते हुए बताया संत जी द्वारा दहेज मुक्त विवाह कि मुहिम चलाकर दहेज रूपी दानव को खत्म किया जा रहा है, साथ ही एलइडी टीवी के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज का सत्संग दिखाया गया l जिसमें सभी धर्म के सभी शास्त्रों के आधार पर पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति बताई l
वहीं संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग में बताया कि मनुष्य जीवन 84 लाख प्रकार की योनियों को भोगने के बाद मिलता है मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य सतगुरु की शरण ग्रहण कर सद भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करना है, लेकिन आज के आधुनिक युग में लोग मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को भूलकर देखा देखी की होड़ में लगे हुए हैं, आज का समाज शिक्षित है, सभी को अपने धर्म के सद ग्रंथन पढ़ना चाहिए और सद्भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहिए, ताकि इस जन्म मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाए, सत्संग के दौरान 11 लोगों ने संत जी से नाम दीक्षा लेकर जीवन में कभी कोई बुराई ना करने का संकल्प भी लिया, इस दौरान महेश दास, केसरी दास, पूनम दास, संतोष दास, संदीप दास, महेश दास बुरनखेड़ी, रामचरण दास, प्रदीप दास, रामप्रसाद दास, सहित सैकड़ो अनुयाई उपस्थित रहे l