Thursday 12 December 2024 6:59 PM
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रैगर समाज की होनहार प्रतिभा अर्चना बिलोनिया ने कजाकिस्तान में स्वर्ण व रजत पदक जीतकर इतिहास रचा

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l  रैगर समाज की होनहार प्रतिभा अर्चना बिलोनिया सुपुत्री बंशी लाल बिलोनिया निवासी रायपुरा जिला सीकर की बेटी ने कजाकिस्तान में हाल ही में 15 से 19 जुलाई तक आयोजित 11वीं विश्व स्ट्रेंथ लिफ्टिंग एंड इंक्लाइन बेंच प्रेस चैम्पियनशिप-2024 में महिलाओं के 80 किलोग्राम वजन वर्ग में शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण व रजत पदक जीत कर भारत देश और राजस्थान के सीकर जिले व रैगर समाज का नाम रोशन किया है l अर्चना ने इससे पहले राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओ में भी इस खेल में 21 पदक जीत चुकी हैं l

विश्व चैंपियनशिप मे भाग लेना ही किसी खिलाडी के लिये एक बड़ी उपलब्धि है, पदक जीतना तो दूर की बात है l अर्चना बिलोनिया ने कजाकिस्तान में आयोजित 11वीं विश्व स्ट्रेंथ लिफ्टिंग एंड इंक्लाइन बेंच प्रेस चैम्पियनशिप-2024 में महिलाओं के सीनियर कैटेगरी में 80 किग्रा भार वर्ग में 350 किग्रा (167.5 किग्रा और 182.5 किग्रा) हक लिफ्ट उठाकर प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीतने का गौरव हासिल किया । अर्चना ने दूसरा रजत पदक महिलाओं के सीनियर कैटेगरी में 80 किग्रा भार वर्ग में 112.5 किग्रा (55 किग्रा और 57.5 किग्रा) इंक्लिन बेंच लिफ्ट उठाकर दिवितीय स्थान प्राप्त कर जीता l यह जानकारी गांव रायपुरा से अर्चना बिलोनिया के भाई प्रदीप बिलोनिया ने सर्टिफिकेट की कॉपी भेजकर दी l

यदि मन में कुछ करने का जुनून हो तो तमाम मुसीबतों को भी मात देकर इतिहास रचा जा सकता है । यह साबित कर दिखाया है रायपुर गांव की अर्चना बिलोनिया ने, परिवार में आर्थिक तंगी के चलते सुविधा का अभाव व संसाधनों की कमी के बावजूद रैगर समाज की होनहार बेटी अर्चना ने पिछले कई सालों से नियमित अभ्यास पर ध्यान केंद्रित किया और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया हैं । इस खेल के लिए, मेवे, फल, मांस आदि से युक्त स्वस्थ भोजन की आवश्यकता होती है । हालांकि अर्चना का परिवार इस तरह के आहार का खर्च नहीं उठा सकता, लेकिन इससे भी उसके दृढ़ संकल्प पर कोई असर नहीं पड़ा ।

अर्चना एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी और उसका पालन-पोषण ग्रामीण परिवेश में हुआ l परिवार में पिता बंशीलाल बिलोनिया चेजा पत्थर का कार्य करने वाले मजदूर है, पिता ने मजदूरी के रुपयों में से बचत कर बेटी के लिए खेल सामग्री जुटा कर दी । इधर, आर्थिक अभाव के कारण तीन भाई बहनों ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी । परिवार ने आर्थिक हालत खराब होने के बावजूद भी बेटी अर्चना के खेल के सपनों को टूटने नहीं दिया । वर्तमान में दो बड़े भाई प्रदीप व मंजीत पत्थर की खान में मजदूरी करते हैं । खेल के प्रति अर्चना की लग्न और संघर्ष को देखते हुए कोच दुर्जनसिंह शेखावत व उदयभान सिंह रावत ने सहारा दिया । उसी का परिणाम है कि अब अर्चना ने कजाकिस्तान में जाकर भारत का परचम लहराया है l  उसकी इस उपलब्धि से सीकर क्षेत्र और उनके परिवार व समाज में खुशी की लहर है l

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