सेवानिवृत बाबू लाल बारोलिया द्वारा लिखित पुस्तक “कंटकमय जीवन पथ” का विमोचन
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l केद्रीय सरकार पेंशनर्स एसोसिएशन अजमेर के तत्वाधान में 75वें गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2024 को गांधी स्मृति उद्यान, दाहरसेन स्मारक के पास, हरिभाऊ उपाध्याय नगर(विस्तार), अजमेर में आयोजित समारोह में गणमान्य लोगो की गरिमामय मौजूदगी में सेवानिवृत बाबू लाल बारोलिया द्वारा लिखित पुस्तक “कंटकमय जीवन पथ” का विमोचन किया गया ।
सेवानिवृत बाबु लाल बारोलिया द्वारा लिखित पुस्तक समाज के युवाओं के लिए अनुकरणीय उदाहरण साबित होगी l पुस्तक में बताया गया है कि मानव जीवन में संसाधनों की कमी होने पर भी जिस व्यक्ति में आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो उसके सामने संसाधनों की कमी भी बौनी साबित होती है l इस पुस्तक में कठोर परिश्रम और लगन को ही सफलता की कुंजी दर्शाया है तथा जीवन में सफलता के लिए धैर्य हमारी कितनी परीक्षा लेता है । संघर्षों से जब सफलता मिलती है तो किसी व्यक्ति के साधारण से असाधारण होने की यात्रा बताती है ।
इस अवसर पर पुस्तक के रचयिता सेवानिवृत बाबू लाल बारोलिया ने पुस्तक के परिपेक्ष में अपने अनुभवों को साझा करते हुए और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 75वें गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर मेरे जीवन संघर्ष पर लिखित पुस्तक “कंटकमय जीवन पथ” का विमोचन कर मुझे अभिभूत कर दिया । इसके लिए सभी साथियों का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं विशेषकर हमारे संगठन के महासचिव महोदय आत्माराम जी का हृदय से आभारी हूं कि इन्होंने इस पावन अवसर पर मेरी पुस्तक के विमोचन करने का अवसर प्रदान किया ।
मैं विमोचन के लिए सर्वश्री सीताराम जी मीना साहब सेवानिवृत CPMG एवम् संगठन के संरक्षक महोदय, नरेंद्र सिंह जी भाटी साहब, अध्यक्ष महोदय, आर.सी. माहेश्वरी जी साहब, अध्यक्ष सीनियर सिटीजन सोसाइटी ग्रुप.17, अजमेर, जगदीश प्रसाद जी ऐरन साहब, महासचिव,बीएसएनएल एसोसिएशन का भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, विमोचन के दौरान उपस्थित सभी साथियों का भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने विमोचन के दौरान तालियों से मेरा हौसला अफजाई किया । यद्यपि मैं कोई पेशेवर लेखक/कवि नहीं हूं परंतु मन के उद्गार जो वर्षो से मेरे जहन में दबे पड़े थे उनको अपनों के समक्ष कहना मुश्किल होता है l परन्तु अपने जीवन की संघर्ष यात्रा, उतार-चढ़ाव और मीठे-कड़वे अनुभवों को अपनी लेखनी के माध्यम से इस पुस्तक में परोसा है । अतः लिखित रूप में सच्चाई प्रस्तुत करने से मेरे मन को एक अभूतपूर्व शांति महसूस हुई । मैं पुनः एक बार आप सभी साथियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं ।